काफ़ी दूर निकल आया सफर में
घर लौटने को दिल चैहता है
वजह होकेभी खुशी नहीं अकेले में
आज अपनोंकी महफिल को दिल चाहता है
Tuesday, May 12, 2009
Thursday, March 19, 2009
Wednesday, March 18, 2009
दिल्लगी पे बंदिशे
भूलूं जो बंदिशें
हर शौक फरमाने को जी चाहता है
मुआफ करे जो मुझे
तुज्ह्से दिल्लगी को जी चाहता है |
हर शौक फरमाने को जी चाहता है
मुआफ करे जो मुझे
तुज्ह्से दिल्लगी को जी चाहता है |
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