अनजान तेरी खुदाई से
ढूंडा फलक अपनी ज़िन्दगी का
लिखूं ख़ुद मेरी दास्ताँ
था सबक मेरी ज़िन्दगी का
Thursday, March 19, 2009
Wednesday, March 18, 2009
दिल्लगी पे बंदिशे
भूलूं जो बंदिशें
हर शौक फरमाने को जी चाहता है
मुआफ करे जो मुझे
तुज्ह्से दिल्लगी को जी चाहता है |
हर शौक फरमाने को जी चाहता है
मुआफ करे जो मुझे
तुज्ह्से दिल्लगी को जी चाहता है |
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